sunil kumar banerjee 

गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में । वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले ।। मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही, गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं.
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